Piles Treatment : क्षार सूत्र धागे से बवासीर और फिशर का इलाज कैसे होता है जानिए पूरा प्रोसेस

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धागे से बवासीर का इलाज एक सरल और सहज प्रक्रिया है जिसमे बिना किसी टाँके या कट के आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है, इसमें बवासीर ग्रसित व्यक्ति या महिला को दिनचर्या में कोई दिक्कत नहीं होती। आप इस आर्टिकल में एक प्रकार के धागे और उसके द्वारा किये गए इलाज विधि को विस्तार जानेगे।


    छार सूत्र धागा क्या है और इसकी निर्माण विधि

    एक प्रकार का धागा, जिससे बवासीर का इलाज होता है यह छार तथा अन्य आवश्यक सामग्री को मिलाकर निर्मित किया जाता है।

    छार सूत्र एक आयुर्वेदिक थेरेपी है इस थेरपी के जरिए एक धागे से बवासीर को आसानी से ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर के अनुसार इस धागे की मदद से बिना चीर फाड़ का एक सफल इलाज किया जाता है। 


    इसे क्षारीय पदार्थ द्वारा निर्मित किया जाता है स्पष्ट रूप से इस तरह के छार पदार्थ अलग होते है जिनका उपयोग खाने में नहीं होता। इस तरह के छार प्रतिसारणीय होते है अर्थात जिनका उपयोग सिर्फ दवाइयों में किया जाता है।


    अर्क, लटजीरा जैसे पौधो की पत्ती, फल और फूल को धोकर सुखा लिया जाता है सुखाने के बाद इसको अग्नि के उपर भुना जाता है।


    इसके बाद एक सीमित जल की मात्रा में इसे घोल दिया जाता है मध्यम आंच पर इसे उबाला जाता है पानी सूखने तक इसे उबाला जाता है अंत में इसके द्वारा प्राप्त पाउडर को इक्कठा किया जाता है जिसको हल्दी और अन्य अवशधियो को मिला कर धागा तैयार किया जाता है। इसी धागे से बवासीर का इलाज किया जाता है।


    क्षार सूत्र का उपयोग ( Kshar Sutra Uses )

    बवासीर होने के कारण मलद्वार पर मस्से बन जाते है जिसमे आंतरिक रूप से जखम बन जाता है मल बहिष्कृत होने पर वेक्टेरिया और कीटाणु उस हिस्से को छति पहुचाते है, इन वेक्टेरिया को बढ़ने से रोकने के लिए क्षार सूत्र का उपयोग किया जाता है PH वैल्यू अधिक होने के कारण यह कीटाणु को नष्ट कर देता है।


    फिस्टुला , बवासीर , फिशर, भकंदर जैसे रोगों को जड़ से ख़तम करें के लिए इसका उपयोग किया जाता है।


    नाक का मास बढ़ने पर चिकित्सा विधि में इसका उपयोग किया जाता है।


    पानीय क्षार का उपयोग कफ बनने पर किया जाता है इसके द्वारा कफ को गले से किया जाता है !


    धागे से बवासीर का इलाज कैसे होता है  ( Piles Treatment In hindi )

    धागे से बवासीर का इलाज कैसे होता है ? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में रहता है जो इस आयुर्वेदिक विधि द्वारा इलाज कराने के बारे में सोच रहे होंगे। यहाँ आपको पूरी विधि के बारे में बताया जाएगा, ताकि आप मानसिक रूप से इलाज के लिए तैयार हो सके।

    • पहले बवासीर ग्रसित व्यक्ति की जांच की जाती है, पहचान की जाती है मुख्य रुप से बवासीर को चार स्तरों में विभाजित किया जाता है तथा फिशर, भकंदर, पिस्तुला, इसके कुछ प्रकार है।

    • डॉक्टर द्वारा इसकी पहचान करने के बाद मरीज को रोग के अनुसार कुछ दवाईया लिखी जाती है जिसे खाकर उसको नार्मल करके क्षार सूत्र प्रिक्रिया के लिए तैयार किया जाता है।

    • एक निश्चित समय पर क्षार सूत्र प्रिकिया की जाती है जिसमे बवासीर के आरंभ भाग से मास के अंदर से जहा तक बवासीर है वहां तक धागे को पहुंचाकर बांध दिया जाता है।

    • पीड़ित को दर्द महसूस ना हो, उसके लिए कुछ दवाइयां लिखी जाती है।

    • डॉक्टर द्वारा बताए गए समय के अनुसार इसकी जांच की जाती है,और धागे को हफ्तों के लिए रहने दिया जाता हैं ताकि बवासीर की नस को पूरी तरह से काटकर उसे सुखा सके।

    • दवाई तथा धागे की मदद से 10 से 15 दिन के बिच में घाव सुख जाता है।

    • धागे का कार्य समाप्त होने के बाद डॉक्टर द्वारा इसे पूरी तरह से काटकर बाहर निकल दिया जाता है और बवासीर की जगह को दवाई लगाई जाती है।

    • ग्रसित व्यक्ति द्वारा गरम पानी में गुदा द्वार की सिकाई करने की सलाह दी जाती है।

    • कुछ दिन बाद पीडित पूरी तरह से स्वास्थ्य हो जाता है। इलाज के बाद दुबारा बवासीर का होना नाम मात्र ही रह जाता है।



    क्षार सूत्र ट्रीटमेंट का खर्च ( Kshar Sutra Treatment Cost )

    आजकल के हिसाब से 15000 शुरुवाती चार्ज है इसके बाद रोग कौन से स्तर का है उसे देख कर ज्यादा से ज्यादा 30000 से 40000 तक खर्चा लग सकता है।


     जैसा की हम सभी पढ़ चुके है छार सूत्र एक आयुर्वेदिक इलाज है, अगर आप पहली बार किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिए जाते है तब आपसे शुरुवाती फीस चार्ज की जाती है, उसके बाद चेक करने के लिए किसी प्रकार की फीस नहीं ली जाती।


    धागे की चांज और बदलने का एक निश्चित समय होता है उस समय मरीज को डॉक्टर के पास बुलाया जाता है इस दौरान जरुरी दवाइयों की आवश्यकता होती है।


    इस तरह के इलाज के लिए कुछ दवाइया बाहर मेडिकल से मंगाई जाती है जो की टेबलेट, ट्यूब , और गोलियों के रूप में हो सकती है इनका खर्च उनके रेट के हिसाब से होता है।


    इसके अलावा हॉस्पिटल के बदले आप किसी नार्मल जगह पर भी इसका इलाज करा सकते है, लेकिन उसके बारे में अच्छी तरह से जांच पड़ताल कर ले, ताकि आप सही जगह पहुच सके। कई जगह अच्छे डॉक्टरो की खुद की शॉप होती है, जहा पर  कम खर्चे में सफलता पूर्वक इलाज हो सकता है।


    अगर आप खर्च उठाने में असमर्थ है तब अपनी सुविधानुसार गवर्नमेंट हॉस्पिटल में पता लगा सकते है, जहा आपको प्राइवेट हॉस्पिटल के मुकाबले कम खर्च देना पड़ता है लेकिन एक बात का ध्यान अवश्य रहना चाहिए सरकारी हॉस्पिटल में आपको अधिक समय देना पड़ सकता है।


    क्षार सूत्र उपचार के बाद सावधानियों में क्या करे

    क्षार सूत्र उपचार के बाद भी हमें कुछ टाइम तक सावधानिया रखने की सलाह दी जाती है ताकि व्यक्ति पूरी तरह से स्वास्थ्य हो सके। यहाँ आपको कुछ महत्वपूर्ण सावधानियो के बारे में सालाह दी गयी है जिसको जानना आपके लिए अति आवश्यक है।

    • धागे (क्षार सूत्र) के उपचार के बाद मल द्वार को किसी प्रकार की हानि ना पहुंचे, इसके लिए, लंबी यात्रा से बचना करना चाहिए।

    • नॉनवेज खाने से परहेज करना चाहिए ताकि मसालों द्वारा मल द्वार में किसी जगह नुकसान ना पहुंचे।

    • शराब, गुटका तथा नसीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए क्यूंकि इसमें मौजूद टॉक्सिन मलद्वार की जगह को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

    • ठीक होने के बाद डॉक्टर द्वारा बताए गए ट्यूब या किसी प्रकार के ऑयल को लगना जारी रखना चाहिए ताकि मलद्वार की सेफ्टी रह सके।

    • किसी प्रकार की परेशानी होने पर आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपनी बात बतानी चाहिए, ताकि डॉक्टर समस्या के अनुसार आपको कोई दवाई बता सके।

    • कब्ज बनाने वाली चीजों से शक्त रूप से परहेज करना जरूरी है।

    • मलद्वार को गरम पानी से साफ रखना चाहिए।

    • घूमना फिरना आवश्यक है ताकि मलद्वार में रक्त प्रवाह होकर वहां की जगह जल्दी स्वथ्य हो जाए।

    • ज्यादा देर बैठने से बचना चाहिए।

    • जीवन शैली में शरीर को एक जगह स्थिर, रखने बजाए प्राणायाम, करे और अपने शरीर को एक्टिव रखने की कोशिश करनी चाहिए।

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    क्षार सूत्र साइड इफेक्ट्स ( Kshar Sutra Side Effects )

    धागे से इलाज के बाद कुछ मामलों में साइड इफेक्ट देखने को मिलता है जिसके बारे में नीचे बताए गया है।

    • धागे के कटाव के कारण चोटिल जगह में खुजली अथवा जलन महसूस हो सकती है।

    • कुछ सीरियस मामले में धागे की विधि असफल साबित हो जाती है तब इलाज लंबा चल सकता है परंतु चिंता की कोई बात नही है 5% मामले ही असफल है बाकी सभी सफल रहते है।

    • कभी कभी किसी व्यक्ति की स्किन मुलायम होने की वजह से दर्द की संभावना बढ़ सकती है।

    • अगर डॉक्टर की लापरवाही के कारण मलद्वार पर जख्म हो जाता है इस अवस्था में चोट कैंसर का रूप धारण कर सकती है।

    • लंबे इलाज के बाद दिनचर्या में समस्याओं का सामना करना पड सकता है।


    ध्यान देने योग्य सवाल और जवाब 

    बवासीर के कीड़े कैसे होते हैं ?

    बवासीर, खून के इकट्ठा होने के बाद मलद्वार से बाहर या अंदर लटके मास को कहते है इस मास में बैक्टीरिया आक्रमण करते रहते है, जिसे बवासीर के कीड़े के रूप में समझा जा सकता है। पेट में बनने वाले कीड़े भी इसे बढ़ावा देने में मदद करते है इसलिए बवासीर के लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाना जरूरी है।


    क्षार सूत्र में कितना दर्द होता है ?

    धागे से इलाज में दर्द की मात्रा कम होती है, क्युकी डॉक्टर द्वारा इसके लिए कुछ मेडिसिन की सलाह दी जाती है, जो दर्द को कम करने में मदद करती है। मरीज की सहनशीलता का खयाल रखते हुए इसका इलाज किया जाता है। धागे को निकालते समय दर्द से बचाव के लिए एक प्रकार के इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे दर्द महसूस नही होता।


    क्षार सूत्र ट्रीटमेंट रिकवरी टाइम ?

    यह रोग के स्टेज पर निर्भर करता है की मरीज कब तक ठीक होगा। पहले स्टेज के रोगी को लगभग 1 से 3 महीने का वक्त लग सकता है, इसी प्रकार अगर रोग आखिरी स्टेज पर है या एक से अधिक बवासीर है तब उसके हिसाब से समय सीमा बढ़ जाती है जोकि बढ़कर 1 साल तक हो सकती है।


    बवासीर में कैसे बैठे ?

    बैठने की अवस्था कुछ भी हो सकती है परंतु जरूरी बात यह है की आप कितनी देर तक एक जगह बैठे रह जाते हो? ज्यादा देर बैठने से मस्सों पर दवाब पड़ता है, इससे बवासीर बढ़ जाती है।


    बवासीर में चावल खाना चाहिए या नहीं ?

    चावल एक सूखा भोजन है जो अन्य भोज्य सामग्री के साथ खाया जाता है, वैसे तो चावल से कब्ज बनने की संभावना रहती है, लेकिन इसको  विधि के अनुसार खाया जाए तब यह बवासीर में नुकसान नहीं करता। चावल को दाल या सब्जी के साथ मिलाकर खाने से किसी तरह की हानि नही होती। चावल को कम मात्रा में खाना चाहिए, ताकि पाचन में कब्ज जैसी शिकायत ना हो ।


    बवासीर में क्या खाएं ?

    सुबह खाली पेट किशमिश का सेवन करने से बवासीर में बहुत ज्यादा फायदा मिलता है। बवासीर से खून का स्राव होने की वजह से खून की कमी हो जाती है किशमिश खून की कमी को पूरा करता। इसमें जिंक तथा फाइबर मौजूद होते है जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते है।

    बवासीर का संबंध कब्ज से है, इसलिए इस बात का ध्यान देना आवश्यक है की ऐसी कोई चीज ना खाए जो कब्ज बनाती है।

    बार-बार बवासीर होने का क्या कारण है ?

    कब्ज एक खास वजह है जिसके कारण बवासीर ठीक होने के बाद दुबारा हो सकता है। कब्ज से मल टाइट होकर बाहर निकलता है जिसके कारण गुदा मसल्स पर अधिक जोर पड़ता है इससे मस्से पैदा होने लगते है।


    अगर आप जानना चाहते है बवासीर कैसे होता है आखिर हमारी किस आदतों से बवासीर को बढ़ावा मिलता है उन सभी वजह को जानने के लिए पढ़े.... 


    दोस्तों आपने इस आर्टिकल में धागे से बवासीर का इलाज तथा उससे सम्बंधित आशंकाओ को पढ़ा, आशा करता हूँ मेरा ये आर्टिकल आपके लिए काफी मददगार साबित रहा होगा।


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