Bacchedani Mein Ganth : बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए

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बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए
(bacchedani mein ganth kya Nahi Khana Chahiye)


बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) बनने की समस्या महिलाओं में पाई जाने वाली एक आम समस्या है। यह गांठ अक्सर महिला के शरीर के आंतरिक अंग में उत्पन्न होती है, जो बच्चेदानी के पास स्थित होता है। बच्चेदानी में गांठ के पनपने के पीछे कई कारण ज़िम्मेदार हो सकते हैं जिनमें हार्मोन्स के बदलाव, संक्रमण, या बच्चेदानी में समस्या ख़ास कारण हैं।

खानपान की आदतों में कुछ छोटे-मोटे बदलाव करके इस समस्या पर काफ़ी हद तक काबू पाया जा सकता है। ऐसे में ये जानना ज़रूरी हो जाता है कि बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) होने पर क्या नहीं खाना चाहिए। कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें हम खाने से बचें तो इस समस्या में काफी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। चलिए हम आगे समझते हैं कि क्या है बच्चेदानी में गांठ की समस्या और इसके लक्षण। साथ ही जानते हैं कि बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए।

Bacchedani Mein Ganth बनना क्या होता है?

बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) की समस्या महिलाओं में अक्सर मोटापे, बढ़ती उम्र व खराब जीवनशैली के कारण उत्पन्न होती है। ये समस्या अक्सर 30-35 वर्ष की उम्र की औरतों में होती है। यह गांठ अक्सर शरीर के अंदरूनी हिस्सों में बनती है, जो बच्चेदानी के पास स्थित होता है।

पक्की उम्र में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं जो बच्चेदानी में गांठ के ज़िम्मेदार हो सकते हैं। साथ ही खानपान की ख़राब आदतें जैसे शराब का सेवन, सिगरेट पीना आदि भी इस समस्या में मुख्य भूमिका निभाती हैं। अतः अगर आपके शरीर में इस समस्या के लक्षण हैं या आप इस समस्या का सामना कर रही हैं तो आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए।

बच्चेदानी में गांठ बनने पर कौनसी दिक्कतें होती हैं? | fibroid uterus symptoms

बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) की समस्या अक्सर खराब दिनचर्या व खानपान की गलत आदतों के कारण होती है जिससे महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह समस्या होने पर आमतौर महिलाओं को आलस, पेट में भारीपन जैसी समस्याएँ महसूस होती हैं। 

इसके अलावा कुछ दिक्कतें जो महिलाओं को झेलनी पड़ती हैं वह निम्नलिखित हैं।

  • इस समस्या के होने पर मासिकधर्म के दौरान बहुत ज़्यादा खून बहने होने की समस्या हो सकती है। इस दौरान खून के थक्के भी नज़र आ सकते हैं। अगर मासिक धर्म लंबे समय तक चल रहा है या महीने एक से ज़्यादा बार मासिक धर्म हो रहा है तो यह इस समस्या का संकेत हो सकता है।
  • पेल्विक एरिया (नाभि के निचले हिस्से) में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है।
  • बार-बार पेशाब आने की शिकायत या पेशाब के दौरान खून आना भी ई का लक्षण है।
  • मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक दर्द होना।
  • सम्भोग के समय दर्द महसूस होना।
  • शरीर में सूजन या मोटापा महसूस होना भी बच्चेदानी में गांठ की समस्या का संकेत हो सकता है।
  • बच्चेदानी में गांठ होने पर महिलाओं को माँ बनने में समस्या आ सकती है।

बच्चेदानी में गांठ क्यू बनता है इसके क्या कारण है?

बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) होने की समस्या कई कारण से हो सकती है। आमतौर पर इस समस्या का मुख्य कारण हार्मोन्स का संतुलन में न होना होता है। कभी कभार सिष्ट (cyst) के कारण भी ये समस्या पनप जाती है। हार्मोन्स का संक्रमित होना भी बच्चेदानी में गांठ का एक कारण हो सकती है।

इसके अलावा कुछ प्रमुख कारण जो बच्चेदानी में गांठ की समस्या के लिए ज़िम्मेदार हैं वो निम्न हैं-

  • विटामिन डी की कमी
  • बच्चेदानी में एस्ट्रोजन हार्मोन बनना
  • निसंतान महिलाओं में बच्चेदानी में गांठ की समस्या बन सकती है।
  • गर्भनिरोधकता अधिक सेवन
  • शराब में धूम्रपान का सेवन
  • लाल मांस का सेवन

इसके अलावा बच्चेदानी के किसी हिस्से के संक्रमित होने पर भी गांठ पनप सकती है। साथ ही साथ बच्चेदानी की ग्रन्थि का ज़रुरत से ज़्यादा बढ़ जाने पर भी बच्चेदानी में गांठ की समस्या हो सकती है। अनुवांशिक (वंशानुगत) कारणों से भी यह समस्या हो सकती है। गलत खाने-पीने की चीज़ों का सेवन इस समस्या को कठिन बनाता है। क्योंकि बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए इस बात से महिलाएं अनभिज्ञ होती हैं।


बच्चेदानी में गांठ कितने प्रकार की होती हैं? | fibroid uterus types

बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) के 4 प्रकार के होते हैं –

सुबसेरोसल (Subserosal)

ये गांठें बच्चेदानी के बाहरी भाग में पनपती हैं। ये आकार में बड़ी होती हैं और बच्चेदानी के बाहर फैलती जाती हैं।

इंट्रामुरल  (Intramural)

इस प्रकार की गांठें बच्चेदानी की मांसपेशियों के बीच में पैदा होती हैं। यह बच्चेदानी की दीवारो में बनती हैं।

सबमुकोसल  (Submucosal)

ये गांठें बच्चेदानी के आंतरिक हिस्से में पैदा होती हैं और बच्चेदानी के अंदर विस्तारित होती हैं। ये बच्चेदानी की गुफा को प्रभावित करती हैं।

पेडुंकुलेटेड  (Pedunculated)

इस प्रकार की गांठें बच्चेदानी की शाखाओं के साथ बढ़ती हैं। ये बच्चेदानी के अंदर होते हैं और एक पेड़ की तरह जुड़े होते हैं।


बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए, और क्या परहेज करें

हमारे दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले कुछ भोज्य पदार्थ बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) की समस्या में  विपरीत व गम्भीर प्रभाव डाल सकते हैं अतः ऐसे पदार्थों से  परहेज करना  अत्यंत आवश्यक हैं। आईए जानते हैं कि बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए ।

प्लास्टिक में ज्यादा दिनों तक पैक खाद्य पदार्थो से बचे

प्लास्टिक में पैक चीजे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है, क्यूंकि उसमे डायोक्सिन गैस मौजूद होती है! जोकि शारीर के अन्दर जाकर विषाक्त पदार्थो को जन्म देती है! इसके साथ ही प्लास्टिक में पैक खाद्य पदार्थों के अंदर नमक की मात्रा अधिक होती है जोकि शरीर के साथ बच्चेदानी में होने वाली गाँठ पर बुरा प्रभाव डालती है!

वसा युक्त खाने से परहेज करें

बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) की समस्या होने पर आपको वसायुक्त (fat) भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि वसा युक्त भोजन शरीर की सूजन को बढ़ा देता है जो की बच्चेदानी में गांठ की समस्या को और गंभीर बन सकता है इस अवस्था में आपको अंडे का मध्य भाग, किसी भी तरह के सॉस, पेस्ट्री या केक आदि का सेवन नहीं करना चाहिए

शराब

शराब बच्चेदानी की गांठ (bacchedani mein ganth) उत्पन्न करने वाले हार्मोन्स के उत्सर्जन को बढ़ा देती है। फलस्वरूप गांठ के आकार में वृद्धि होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती है। जो महिलाएं शराब का सेवन करती हैं उनमें यह समस्या में 50 प्रतिशत से अधिक होती है।

प्रोसेस्ड फूड

बाजार में उपलब्ध  प्रोसेस्ड फूड (पैकेट में पाए जाने वाले भोजन) शरीर में सूजन बढ़ाते हैं जिसके कारण गांठ का आकार बढ़ सकता है जो इस समस्या को और गंभीर बन सकता है। अतः किसी भी तरह के प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने से विशेष परहेज करें। 

मांसाहार

मांस का सेवन विशेषकर लाल मांस (red meat)  बच्चेदानी की गांठ की समस्या बढ़ा सकता है। अतः इस समस्या में मटन, पोर्क, बीफ, इत्यादि से परहेज करें।

चाय

चाय व कॉफ़ी जैसे पेय पदार्थों में कैफ़ीन पाया जाता है, जो बच्चेदानी में गांठ की समस्या को गम्भीर बना सकता है।

उड़द की दाल

उड़द की दाल का सेवन बच्चेदानी में गांठ की समस्या को गम्भीर बना सकता है।  उड़द की दाल से शरीर में यूरिक एसिड बढना, कब्ज और पेट दर्द की समस्याएं होती हैं। यह बच्चेदानी में गांठ की समस्या को बढ़ा सकती है। अतः उड़द की दाल से परहेज करें।


बच्चेदानी में गांठ हाेने पर आपकाे  एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीज़ों सेवन करना चाहिए। इन चीज़ों में आँवला, हल्दी, अनाज, दालें, मौसमी फल इत्यादि शामिल हैं जिनमें एंटीऑक्सीडेंट और ओमेगा 3 एसिड पाया जाता है।

अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें....

 



बच्चेदानी में गांठ होने पर किस अवस्था में पीडिता को डॉक्टर के पास जाना चाहिए

बच्चेदानी की गांठ (bacchedani mein ganth) समस्या का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। इन लक्षणों के आधार पर डॉक्टर आपको कुछ दवाईयां जैसे- दर्द निवारक दवाएं, गर्भनिरोधक गोलियां, प्रोजेस्टिन-रिलीजिंग इंट्रायूटरिन डिवाइस (IUD), गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट (GnHRa), एंटीहार्मोनल एजेंट या हार्मोन मॉड्यूलेटर आदि दे सकते हैं, जिनसे कुछ हद तक बच्चेदानी की गांठ समस्या की रोकथाम सम्भव है, लेकिन ये स्थाई इलाज नहीं है। तकलीफ बढ़ने पर अंतिम उपाय के रूप में शल्य चिकित्सा (आपरेशन) द्वारा बच्चेदानी को शरीर से निकाल दिया जाता है जिसे एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टोमी कहा जाता है। परन्तु जैसा कहा जाता है कि सावधानी ही सुरक्षा है, अतः थोड़ी सी सतर्कता द्वारा इस समस्या से बचा जा सकता है। अगर आपकी आयु 35 से 40 वर्ष के आसपास हो गयी है तो  आप डॉक्टर से नियमित रूप से परामर्श लेते रहें। मीनोपाॅज़  के बाद डॉक्टर से कंसल्ट अवश्य करें।


बच्चेदानी में गांठ होने पर कौन से  डॉक्टर को दिखाना चाहिए

बच्चेदानी की गांठ की समस्या के इलाज के लिए किसी भी महिला विशेषज्ञ (gynecologist) से सलाह ली जा सकती है। विशेषतः डॉक्टरों द्वारा खान पान में बदलाव की सलाह दी जाती है। डॉक्टर द्वारा एक सही डाइट चार्ट बनाकर दिया जा सकता है जिसमें ये बताया गया हो कि बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए व क्या खाना चाहिए।

इसके अलावा दर्द में राहत के लिए कुछ दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। यदि गांठ आकार में बड़ी है तो अंतिम विकल्प सर्जरी ही होता है।

बच्चेदानी में गांठ के लिए कौनसा टेस्ट करवाया जाता है? | fibroid uterus Tests

बच्चेदानी में गांठ की जांच के लिए डॉक्टरों द्वारा कुछ जाँचों की सलाह दी जाती हैं। इन परीक्षणों के जरिये बच्चेदानी में गांठ की स्थिति व गम्भीरता का पता लगाया जाता है। आइये हम इन परीक्षणों के बारे में जानते हैं-

ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड परीक्षण- 

ये किसी भी आम डाइग्नोस्टिक सेंटर पर किया जा सकता है। इस टेस्ट के द्वारा ये पता लगाया जाता है कि गांठ बच्चेदानी के किस हिस्से में है।

पेट और नाभि के निचले हिस्से का सीटी स्कैन- 

इस प्रक्रिया के अंतर्गत किसी भी प्रकार के ओपेरेशन या सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। इस टेस्ट से शरीर के भीतरी अंगों की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त की जाती है।

खून की जाँच- 

खून की जांच के द्वारा शरीर मे हार्मोन्स के स्त्राव की सटीक जानकारी पता लगाई जाती है।

अंतिम शब्द

बच्चेदानी में गांठ की समस्या का निवारण कुछ मामूली मगर ज़रूरी सावधानी बरतने से किया जा सकता है। नियमित जाँच व सतर्कता इस बीमारी के लिए कारगर है। और इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए।

तो इस आर्टिकल में हमने बच्चेदानी में गांठ की समस्या, इसके लक्षणों व बरती जाने वाली सावधानी के बारे में जाना। साथ ही हमने विस्तार से यह जाना कि बच्चेदानी में गांठ होने पर क्या नहीं खाना चाहिए।

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FAQ

बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) होने पर क्या क्या खाना चाहिए?

बच्चेदानी की गांठ के लिए आंवला फल बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है, क्यूंकि इसमें एंटी फैब्रोटिक, मोनोसोडियम ग्लूटामेट जैसे तत्व पाए जाते हैं।

बच्चेदानी की गांठ (bacchedani mein ganth) कब चिंता का विषय बन जाता है?

जब लक्षण गंभीर होने लगे, तब इसको इन्ग्नोर नहीं करना चाहिए और डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।

बच्चेदानी में गांठ (bacchedani mein ganth) होने पर क्या करना चाहिए?

सिकाई, गर्म तेल से मालिश, शारीरिक व्यायाम, बहार खाने से परहेज करें।

बच्चेदानी में कैंसर होने पर ऑपरेशन खर्चा कितना लगता है?

2 लाख से 4 लाख रुपए।


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